सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर वाग्देवी मन्दिर परिसर में जन्म महोत्सव धूम धाम से मनाया गया। कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने श्री कृष्ण जी  के विभिन्न पक्षोंका वर्णन करते हुए बताया कि* श्रीकृष्णभगवान देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा।

श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।अन्याय मुक्त एवं जनकल्याणकारी पर्व है।
कुलपति प्रो त्रिपाठी ने कहा कि 
श्रीमद्भागवत पुराण के वर्णन के अनुसार कृष्ण जब बाल्यावस्था में थे तब नंद बाबा के घर आचार्य गर्गाचार्य द्वारा उनका नामकरण संस्कार हुआ था । नाम रखते समय गर्गाचार्य ने बताया , यह पुत्र प्रत्येक युग में अवतार धारण करता है । तभी इसका वर्ण स्वेत , कभी लाल , कभी पीला होता है । 
वेदांत के आचार्य  वेदांती प्रो रामकिशोर त्रिपाठी ने भगवान की कथा सुनाते हुये कहा कि पूर्व के प्रत्येक युगों में शरीर धारण करते हुए इसके 3 वर्ण हो चुके हैं । इस बार कृष्ण वर्ण का हुआ है , अतः इसका नाम कृष्ण होगा और इस तरह धरती को कंस जैसे पापी के पापों के भार से मुक्त करने के लिए श्री कृष्ण का जन्म भाद्र पक्ष की कृष्ण पक्ष की गहन अंधेरी रात में हुआ , थोड़ा पहले की बात करें तो मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था , उसकी प्राणों से प्रिय एक बहन देवकी थी , देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ 

अपनी बहन का रथ हांककर वह स्वयं अपनी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था । तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा , इतना सुनते ही उसने रथ को वापस मोड़ लिया तथा देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया , एक - एक करके उसने देवकी के साथ संतानों की हत्या कर डाली , किंतु श्री कृष्ण को मारने के सभी प्रयास असफल रहे ।श्री कृष्ण जी ने मामा कंस का वध करके अत्यचार एवं अन्याय का नाश कर एक पापी से पृथ्वी को मुक्त कराया।


*कार्यक्रम के प्रारम्भ मे कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी  के द्वारा विश्वकल्याण,संस्कृत व विश्वविद्यालय  के अभ्युदय, और स्वस्थ समाज के सृजन के मनोकामना के साथ  वैदिक विधि पूर्वक से भगवान श्री कृष्ण जी एवं माँ वाग्देवी जी की पूजा आराधना तथा आरती किया गया।*


सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणासी के माँ वाग्देवी मंदिर के सभागार में आज श्री कृष्ण जन्मअष्टमी महोत्सव में सँगीत विभाग के द्वारा श्री कृष्ण जी के वास्तविक दर्शन पर  मधुर भजन से भाव विभोर कर दिया।
उक्त महोत्सव मे वेद विभाग के अध्यक्ष एवं वेद वेदांग संकायाध्यक्ष प्रो महेंद्र पान्डेय के संयोजकत्व में पूजन आदि पुजारी डॉ राजकुमार मिश्र ,डॉ सच्चिदानंद और सन्तोष दुबे सह व्यवस्थापक के द्वारा कराया गया।
उक्त अवसर पर प्रो शैलेश कुमार मिश्र एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

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